कर्मचारियों को तगड़ा झटका, बेसिक सैलरी में DA merger पर आया सरकार का लिखित जवाब 7th Pay Commission

7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ते (DA) की घोषणा से पहले बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने राज्यसभा में स्पष्ट कर दिया है कि महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इस निर्णय से एक करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदों को झटका लगा है। लंबे समय से कर्मचारी संगठन यह मांग कर रहे थे कि जब महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत से अधिक हो जाए, तो इसे मूल वेतन में मिला दिया जाए। लेकिन सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है और लिखित रूप में जवाब दिया है।

कर्मचारी संगठनों की मांग

केंद्रीय कर्मचारियों के विभिन्न संगठन लगातार मांग कर रहे थे कि महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय किया जाए। उनका तर्क था कि वर्तमान में महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत से अधिक हो चुका है, और ऐसी स्थिति में इसे मूल वेतन में मिलाना आवश्यक है। नेशनल काउंसिल ऑफ ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी ने भी कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के साथ बैठक में यह मुद्दा उठाया था। कर्मचारी संगठनों का मानना था कि महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय करने से कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और उन्हें बढ़ती महंगाई से राहत मिलेगी।

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राज्यसभा में उठा मुद्दा

राज्यसभा में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते और महंगाई राहत को मूल वेतन में विलय करने के बारे में सवाल उठाया गया था। इस सवाल का जवाब देते हुए, वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 19 मार्च 2025 को स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने बताया कि हर छह महीने में महंगाई भत्ते को संशोधित किया जाता है, और यह प्रणाली कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई से राहत प्रदान करने के लिए पर्याप्त है। यह जवाब लिखित रूप में दिया गया, जिससे स्पष्ट हो गया कि सरकार इस मुद्दे पर अपने रुख को बदलने के लिए तैयार नहीं है।

सरकार का तर्क

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सरकार ने महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय न करने के पीछे वित्तीय कारणों का हवाला दिया है। वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि अगर महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय किया जाता है, तो इससे सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। उन्होंने यह भी बताया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू होने के बाद से अब तक डीए/डीआर की 15 किस्तें सरकार की ओर से दी जा चुकी हैं। सरकार का यह भी कहना है कि महंगाई भत्ता और महंगाई राहत कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई से राहत देने के लिए प्रदान किए जाते हैं, और हर छह महीने में इनका संशोधन किया जाता है, जिससे कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाता है।

छठे वेतन आयोग की सिफारिश

इस संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि छठे वेतन आयोग ने भी महंगाई भत्ते को मूल वेतन में न मिलाने की सिफारिश की थी, जिसे सरकार ने मान लिया था। इस प्रकार, सरकार का यह निर्णय पूर्व में लिए गए फैसलों के अनुरूप है। महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय करने की मांग छठे वेतन आयोग के समय भी उठाई गई थी, लेकिन तब भी इसे स्वीकार नहीं किया गया था। वर्तमान में भी सरकार ने इस मांग को मानने से इनकार किया है, और अपने इस निर्णय के पीछे वित्तीय कारणों का हवाला दिया है।

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कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया

सरकार के इस फैसले पर कर्मचारी संगठनों ने निराशा व्यक्त की है। उनका कहना है कि महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय करने से कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई से राहत मिलती और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती। कर्मचारी संगठनों का तर्क है कि जब महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत से अधिक हो जाता है, तो इसे मूल वेतन में विलय कर देना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में महंगाई भत्ता मूल वेतन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए तैयार नहीं है।

आठवें वेतन आयोग पर अपडेट

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इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आठवें वेतन आयोग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि आठवें वेतन आयोग से केंद्र सरकार के 36 लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ होगा। इसके अलावा, रक्षा क्षेत्र के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को भी इसका फायदा मिलेगा। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने नए वेतन आयोग के गठन का फैसला कर लिया है। यह जानकारी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आठवें वेतन आयोग से उनके वेतन और सेवा शर्तों में सुधार की उम्मीद है।

महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय न करने के सरकार के फैसले के बावजूद, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवां वेतन आयोग एक उम्मीद की किरण है। अगर आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें कर्मचारियों के पक्ष में होती हैं, तो इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, हर छह महीने में होने वाले महंगाई भत्ते के संशोधन से भी कर्मचारियों को कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय करने की मांग को लेकर कर्मचारी संगठनों और सरकार के बीच मतभेद बने रहने की संभावना है।

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। वेतन और भत्तों से संबंधित अंतिम और आधिकारिक जानकारी के लिए कृपया भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित सरकारी विभाग से संपर्क करें। नियम और शर्तें बिना किसी पूर्व सूचना के परिवर्तन के अधीन हो सकती हैं।

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